- LG साहब ने दिल्ली सरकार का फैसला बिना पूरी समीक्षा के बदला – उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया
- मीटिंग में LG साहब ने कहा “अभी नहीं पता की दिल्ली के लोगों के इलाज का इंतजाम कैसे करेंगे, देखेंगे” – उप मुख्यमंत्री, दिल्ली, मनीष सिसोदिया
- LG साहब ने फैसला बदलने से इनकार किया, केजरीवाल सरकार पूरी तैयारी करेगी कि दिल्ली के साथ साथ देश के लोगों का भी दिल्ली में समुचित इलाज हो- उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया
- Community Spread टेक्निकल टर्म, फैसले का अधिकार केंद्र सरकार के पास। तेज रफ्तार से बढ़ रहे हैं दिल्ली में कोरोना के मामले* , स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन
Delhi Corona update । उपमुख्मंत्री मनीष सिसोदिया और स्वास्थ्य मंत्री सतेंद्र जैन ने स्टेट डिजाॅस्टर मैनेजमेंट अथाॅरिटी (एसडीएमए) की बैठक के बाद संयुक्त रूप से बयान जारी किया। उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि आज एसडीएमए की बैठक हुई। इस बैठक में चर्चा हुई कि दिल्ली में जो कोरोना के केस बढ़ रहे हैं, उनका स्टेटस क्या है? किस गति से बढ़ रहे हैं? दिल्ली में लगभग 12 से 13 दिन में कोरोना के केस दोगुने हो जा रहे हैं। अभी जो डेटा प्रस्तुत किया गया है, उसमें बताया गया कि 30 जून तक कोरोना के मरीजों के लिए दिल्ली में 15 हजार बेड की जरूरत होगी।
15 जुलाई तक दिल्ली में 33 हजार बेड की आवश्यकता होगी और 31 जुलाई तक 80 हजार बेड की जरूर होगी। 15 जून तक 44 हजार केस होंगे और करीब 6600 बेड की जरूरत होगी। 30 जून तक एक लाख केस पहुंच जांएगे और करीब 15 हजार बेड की आवश्यकता होगी। इसी तरह, 15 जुलाई तक 2 लाख केस हों जाएंगे और 33 हजार बेड की जरूरत पड़ेगी, जबकि 31 जुलाई तक करीब 5.5 लाख केस बढ़ जाएंगे और उसके लिए करीब 80 हजार बेड की जरूरत पड़ेगी।
Delhi Corona update | उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि यह तब है, जब थोड़े दिन पहले तक लाॅकडाउन चल रहा था और अभी तक दिल्ली के सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में दिल्ली में जो लोग रहे रहे थे, वही लोग इलाज कराने के लिए आ पा रहे थे। अगले कुछ दिनों में 15 हजार, 33 हजार और जुलाई के अंत तक 80 हजार बेड की आवश्यकता होगी। इसीलिए दिल्ली कैबिनेट ने निर्णय लिया था कि जब तक कोविड-19 की परेशानी है, तब तक के लिए दिल्ली में जो लोग रह रहे हैं, उनके लिए ही बेड को रिजर्व करके रखा जाए, लेकिन कल एलजी साहब ने दिल्ली कैबिनेट के फैसले को पलट दिया था।
उपमुख्यंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि आज जब एसडीएमए की बैठक में हमने एलजी साहब से अनुरोध किया कि कल आपने फैसला पलटा, तो उससे पहले आपने समीक्षा की होगी, कुछ आंकलन की होगी कि कितने केस बढ़ेंगे और बाहर से कितने केस आएंगे। उसका उनके पास कोई आंकलन नहीं था। मैने उनसे यह भी अनुरोध किया कि जब सारे देश से केस दिल्ली में आएंगे, तब कितने बेड की आवश्यकता पड़ेगी। उसका उनके पास कोई आंकलन नहीं था। इतना जरूरत है कि अगर दिल्ली में पुराने ग्रोथ रेट को माने तो केस दोगुना होने का रेट 12.6 दिन है, उसमें सबकी सहमति थी कि 30 जून तक दिल्ली में 15 हजार बेड चाहिए, 15 जुलाई तक 33 हजार और 31 जुलाई तक 80 हजार बेड चाहिए। ऐसे में एलजी साहब ने कल जो फैसला लिया कि दिल्ली के अस्पतालों को सबके लिए खोला जाए, तो उससे दिल्ली में जो लोग रह रहे हैं, उनके लिए बड़ा संकट पैदा हो गया है। हमने एसडीएमए की बैठक में यह मुद्दा उठाया था। एलजी साहब ने उस पर सहमति नहीं जताई। अब उसकी जिम्मेदारी कौन लेगा, कल को अगर केस इसी रूप से दिल्ली में केस बढ़ते हैं और बाहर से मरीज आते हैं, तो दो, चार या 10 दिन में दिल्ली में उपलब्ध बेड भर जाते हैं, तो आने वाले दिनों में इतने सारे केस आएंगे और इतने बेड की जरूरत पड़ेगी, तो वो कहां से आएंगे? अभी इसका जवाब एसडीएमए की बैठक में नहीं मिला। हमने एलजी साहब से अपने फैसले पर पुनः विचार करने का आग्रह भी किया, लेकिन उन्होंने इससे इन्कार कर दिया।
Delhi Corona update | अब हम उनके फैसले को लागू करेंगे और हम कोशिश करेंगे कि दिल्ली में देश के जितने ज्यादा से ज्यादा लोगों की सेवा हो सके। हमारी पूरी कोशिश रहेगी कि हम मेडिकल सुविधा को बढ़ा सकें और अधिक से अधिक बेड बढ़ाने की तैयारी कर रहे हैं। बैठक में भारत सरकार के अधिकारी भी आए हुए थे। उनका कहना था कि अभी दिल्ली में सामुदायिक फैलाव की स्थिति नहीं है। इसलिए अभी इस पर चर्चा की जरूरत नहीं है।
Delhi Corona update के स्वास्थ्य मंत्री सतेंद्र जैन ने कहा कि दिल्ली में बहुत बड़ी संख्या में केस आ रहे हैं और उनके संपर्क (कंटेक्ट) का पता नहीं लग रहा है। कई स्थानों पर हमने ट्रेस कराया, तो कई सारे लोग निकले थे और उनका स्रोत नहीं पता चल पाया। दिल्ली के अंदर हम अब टेक्निकलल्टी में न जाएं। कल एम्स के डाॅयरेक्टर ने खुद कहा था कि दिल्ली के कंटेनमेंट जोन में सामुदायिक फैलाव है। परंतु यह टेक्निकल मसला है और इसके बारे में फैसला केंद्र सरकार ही कर सकती है और वही बता सकते हैं कि सामुदायिक फैलाव है या नहीं है। हम तो कह सकते हैं कि दिल्ली में बहुत तेजी से बढ़ रहा है। अब उस पर सामुदायिक फैलाव शब्द के इस्तेमाल का अधिकारी केंद्र सरकार के पास है।
स्वास्थ्य मंत्री सतेंद्र जैन ने बताया कि दिल्ली के अंदर प्राइवेट अस्पतालों में 50 प्रतिशत लोग बाहर से इलाज कराने के लिए आते हैं और दिल्ली के बड़े सरकारी अस्पतालों में 70 प्रतिशत लोग बाहर के होते हैं। अभी जब लाॅकडाउन था, दिल्ली के सभी अस्पतालों (प्राइवेट और सरकारी) में औसतन 10 प्रतिशत से भी कम लोग बाहर के थे। बहुत सारी प्लान सर्जरी (पहले से योजना बना कर सर्जरी कराने वाले) लाॅकडाउन के दौरान दो महीने के लिए स्थगित हुई थी। इस तरह की सर्जरी अभी एक-दो महीने के लिए और स्थगित हो सकती थी और इसकी वजह से दिल्ली में बड़ी संख्या में बेड मिल सकते थे। उन्होंने कहा कि 31 जुलाई तक सिर्फ दिल्ली वालों के लिए 80 हजार बेड चाहिए।
इसमें बाहरी राज्यों के लोग शामिल नहीं है। जब इतनी बड़ी संख्या में दिल्ली के लोगों को ही बेड चाहिए, तो जो प्लान सर्जरी हैं, वह कम से कम होंगे, तभी बेड मिल पाएंगे। मनीष जी ने एलजी साहब से पूछा था कि आपने प्लान तो किया होगा। तब उन्होंने कहा कि अभी कोई प्लान नहीं किया गया है, अभी उसका अंदाजा भी नहीं है, आगे देखा जाएगा। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि इसमें देखने वाली क्या बात है? दिल्ली सरकार दिन-रात लगी हुई। नए-नए बेड बना रही है, लेकिन अब उसमें बहुत बड़ी समस्या आ सकती है। जब पूरे देश से लोग इलाज कराने आएंगे, तो बेड की व्यवस्था करने में समस्या आएगी। Report : KD Siddiqui, Email: editorgulistan@gmail.com